Solar Eclipse 2023: क्यों हर बार अमावस्या पर ही लगता है सूर्य ग्रहण, क्या है इसका अमावस्या कनेक्शन?
जब भी सूर्य ग्रहण लगता है, उस दिन अमावस्या तिथि होती है. क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर सूर्य ग्रहण का अमावस्या से क्या कनेक्शन है? यहां जानिए इसके बारे में.
क्यों हर बार अमावस्या पर ही लगता है सूर्य ग्रहण, क्या है इसका अमावस्या कनेक्शन?
क्यों हर बार अमावस्या पर ही लगता है सूर्य ग्रहण, क्या है इसका अमावस्या कनेक्शन?
आज वैशाख अमावस्या (Vaishakh Amavasya) तिथि है. आज के दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लग रहा है. ये सूर्य ग्रहण सुबह 7 बजकर 04 मिनट से शुरू हो चुका है और दोपहर 12 बजकर 29 मिनट (Solar Eclipse 2023 Time) तक रहेगा. इस सूर्य ग्रहण को हाइब्रिड सूर्य (Hybrid Surya Grahan) ग्रहण कहा जा रहा है क्योंकि इस ग्रहण को तीन रूपों में देखा जा सकेगा. सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण हर साल लगते हैं. जब भी सूर्य ग्रहण लगता है, उस दिन अमावस्या तिथि होती है. क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर सूर्य ग्रहण का अमावस्या (Surya Grahan on Amavasya) से क्या कनेक्शन है? क्यों ये हर साल अमावस्या को ही लगता है? आइए बताते हैं-
अमावस्या पर सूर्य ग्रहण की वजह
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो सूर्य और चंद्रमा जब एक ही अंश पर आ जाते हैं तब हम इसे अमावस्या कहते हैं. बिना चंद्रमा और सूर्य के संबन्ध के कोई भी ग्रहण नहीं लग सकता. इसलिए अमावस्या पर सूर्य और चंद्रमा का समानान्तर अंशों पर आना जरूरी होता है. जब सूर्य और चंद्रमा अमावस्या तिथि पर एक साथ आ जाएं और उनका संबन्ध राहु-केतु से बन जाए, तब सूर्य ग्रहण लग जाता है.
वहीं अगर खगोलीय रूप से देखें तो पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है. अमावस्या के दिन चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच होता है और पृथ्वी के सबसे करीब होता है. इस बीच कई बार वो क्षण आता है कि जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच इस तरह से आता है कि पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ पाती. तब सूर्य ग्रहण लग जाता है. यही वजह है कि हर अमावस्या पर सूर्य ग्रहण नहीं होता, लेकिन सूर्य ग्रहण जब भी होता है, उस दिन अमावस्या तिथि जरूर होती है.
क्यों पूर्णिमा पर लगता है चंद्र ग्रहण
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जिस तरह सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या पर ही लगता है, उसी तरह चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा तिथि पर ही लगता है. इसका कारण है कि पृथ्वी की कक्षा पर चंद्रमा की कक्षा करीब 5 डिग्री तक झुकी हुई है. इस झुकाव के कारण हर बार चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश नहीं करता. कई बार पृथ्वी के ऊपर या नीचे से निकल जाता है. इस कारण हर पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता. लेकिन जब भी चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है, वो पूर्णिमा का दिन ही होता है. इसकी वजह है कि चंद्र ग्रहण तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में हों और ज्यामितीय प्रतिबन्ध के कारण केवल पूर्णिमा के दिन ही संभव है. इसलिए चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा के दिन ही लगता है.
क्या है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण
हाइब्रिड सूर्य ग्रहण उसे कहते हैं, जो आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण का मिश्रण होता है. इस सूर्य ग्रहण को पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर रह रहे लोग एक ही वक्त में अलग-अलग रूपों में देखते हैं. हाइब्रिड सूर्य ग्रहण के दौरान चंद्रमा की धरती से दूरी न तो ज्यादा होती है और न ही कम. हाइब्रिड सूर्य ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी से इतना दूर होता हैं जिससे उसकी छाया पृथ्वी के छोटे हिस्से पर खत्म होती है. ऐसे में छोटे छाया वाले हिस्से में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखता है. दूसरी तरफ जहां छाया फैलती है, वहां कुंडलाकार सूर्य ग्रहण दिखाई देता है. इसे हाइब्रिड सूर्यग्रहण कहा जाता है.
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10:22 AM IST